उत्तर प्रदेश के ग्राम चौकीदार, जिन्हें ग्राम प्रहरी भी कहा जाता है, ग्रामीण क्षेत्रों में सुरक्षा और कानून-व्यवस्था बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये लोग दिन-रात गश्त करते हैं, अपराधों की सूचना पुलिस तक पहुँचाते हैं, और ग्राम पंचायतों के कार्यों जैसे जन्म-मृत्यु रजिस्ट्रेशन में सहायता करते हैं। लेकिन, उनकी आर्थिक स्थिति दयनीय है, क्योंकि उन्हें केवल ₹2,500 मासिक मानदेय मिलता है, जो आज की महंगाई में अपर्याप्त है। इसीलिए, चौकीदारों ने वेतन वृद्धि और स्थायी कर्मचारी का दर्जा देने की मांग को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। हाल ही में इस मामले में एक महत्वपूर्ण फैसला आया है, जिसने चौकीदारों के भविष्य पर नया प्रकाश डाला है। इस लेख में हम इस फैसले, चौकीदारों की प्रतिक्रिया, और उनके अगले कदमों पर चर्चा करेंगे।

कोर्ट केस का विवरण
उत्तर प्रदेश में लगभ 70,000 ग्राम चौकीदार कार्यरत हैं, जो लंबे समय से अपने कम वेतन और नौकरी की अनिश्चितता के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। उनकी मांग थी कि उनका मानदेय ₹2,500 से बढ़ाकर कम से कम ₹10,500 किया जाए, जो केंद्र सरकार द्वारा असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के लिए निर्धारित न्यूनतम वेतन ₹20,358 (2024) के करीब हो। इसके अलावा, वे स्थायी कर्मचारी का दर्जा, पेंशन, स्वास्थ्य बीमा, और बुनियादी सुविधाएँ जैसे वर्दी और साइकिल की मांग कर रहे थे। इस मुद्दे को लेकर चौकीदारों ने 2024 में दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना दिया और कई बार मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा। उनकी याचिका इलाहाबाद हाई कोर्ट में दायर की गई थी, जिसमें उन्होंने समान काम के लिए समान वेतन और स्थायीकरण की मांग की थी।
कोर्ट का फैसला
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने हाल ही में इस याचिका पर फैसला सुनाया। कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को आदेश दिया कि ग्राम चौकीदारों का वेतन ₹2,500 से बढ़ाकर ₹10,500 प्रति माह किया जाए, जो उनकी आर्थिक स्थिति को बेहतर करेगा। यह फैसला समान काम के लिए समान वेतन के सिद्धांत पर आधारित है, जैसा कि सुप्रीम कोर्ट ने पहले के मामलों में स्थापित किया था। हालांकि, कोर्ट ने स्थायी कर्मचारी का दर्जा देने की मांग को खारिज कर दिया और इस मुद्दे को सरकार के विवेक पर छोड़ दिया। कोर्ट ने कहा कि स्थायीकरण के लिए सरकार को अलग से नीति बनानी होगी, जिसमें बजट और प्रशासनिक व्यवहार्यता को ध्यान में रखा जाए।
चौकीदारों की प्रतिक्रिया
चौकीदारों ने इस फैसले का स्वागत किया है, क्योंकि वेतन वृद्धि से उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होगा। उत्तर प्रदेश ग्राम प्रहरी चौकीदार संघ के एक नेता ने कहा, “यह फैसला हमारी लंबी लड़ाई का एक हिस्सा है। ₹10,500 का वेतन हमें कुछ राहत देगा, लेकिन स्थायीकरण न मिलने से हमारी नौकरी की सुरक्षा अभी भी खतरे में है।” कई चौकीदारों ने निराशा व्यक्त की, क्योंकि स्थायी कर्मचारी का दर्जा न मिलने से उन्हें पेंशन और स्वास्थ्य बीमा जैसे लाभ नहीं मिलेंगे। वे इसे अपनी मांगों का आधा समाधान मानते हैं और कहते हैं कि उनकी लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है।
भविष्य की रणनीति
चौकीदारों ने अपनी मांगों को और मजबूती से उठाने की योजना बनाई है। उनके अगले कदमों में शामिल हैं:
- सुप्रीम कोर्ट में अपील: कुछ चौकीदार संगठन स्थायीकरण के मुद्दे को सुप्रीम कोर्ट में ले जाने की योजना बना रहे हैं, ताकि कोर्ट सरकार को इस दिशा में स्पष्ट आदेश दे।
- प्रदर्शन और धरना: चौकीदार स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शन जारी रखेंगे। 2026 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों को देखते हुए, वे अपने 35 लाख से अधिक वोटों के प्रभाव का उपयोग कर सकते हैं।
- सरकारी दबाव: चौकीदार यूनियनों ने कहा है कि वे मुख्यमंत्री और अन्य नेताओं से मिलकर अपनी मांगों को दोहराएंगे।
हरियाणा जैसे राज्यों में, जहाँ चौकीदारों का वेतन 2023 में ₹11,200 तक बढ़ाया गया, उत्तर प्रदेश के चौकीदारों को प्रेरणा मिल रही है। वे उम्मीद करते हैं कि सरकार जल्द ही उनकी बाकी मांगों पर भी ध्यान देगी।
अन्य राज्यों की तुलना
नीचे दी गई तालिका उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों में चौकीदारों की स्थिति की तुलना दर्शाती है:
राज्य | वर्तमान वेतन (₹/माह) | हालिया वृद्धि | अतिरिक्त लाभ |
---|---|---|---|
उत्तर प्रदेश | 10,500 (नया फैसला) | 2025 में हाइक | कोई नहीं |
हरियाणा | 11,200 | 2023 में हाइक | वर्दी भत्ता, बीमा |
पंजाब | 1,500 | 2025 में हाइक | बुनियादी सुविधाएँ |
यह तालिका दिखाती है कि उत्तर प्रदेश का नया वेतन हरियाणा के करीब है, लेकिन स्थायीकरण और अन्य लाभों में कमी है।
इलाहाबाद हाई कोर्ट का फैसला ग्राम चौकीदारों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, क्योंकि यह उनके वेतन को ₹2,500 से बढ़ाकर ₹10,500 करता है। हालांकि, स्थायी कर्मचारी का दर्जा न मिलने से उनकी पूरी मांगें पूरी नहीं हुईं। चौकीदार इस फैसले से आंशिक रूप से संतुष्ट हैं, लेकिन वे स्थायीकरण के लिए अपनी लड़ाई जारी रखेंगे। यह संभावना है कि वे सुप्रीम कोर्ट में अपील करेंगे या 2026 के विधानसभा चुनावों का उपयोग करके सरकार पर दबाव बनाएंगे। यह फैसला ग्रामीण सुरक्षा को मजबूत करने की दिशा में एक कदम है, लेकिन चौकीदारों की पूरी मांगों को पूरा करने के लिए और प्रयासों की जरूरत है।
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