ग्राम चौकीदार और दफादार दोनों ही ग्रामीण क्षेत्रों में सुरक्षा और प्रशासनिक कार्यों में अहम भूमिका निभाते हैं। ये लोग गाँवों की सुरक्षा, कानून-व्यवस्था बनाए रखने, और पुलिस के साथ समन्वय करने में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। लेकिन इन दोनों की जिम्मेदारियों, नियुक्ति प्रक्रिया, और वेतन संरचना में अंतर होता है। इसके साथ ही, इन दोनों की वेतन वृद्धि की माँग लंबे समय से चली आ रही है, जिसके पूरा होने का इंतजार अभी भी बाकी है। इस लेख में हम “ग्राम चौकीदार और दफादार में क्या अंतर है दोनों की वेतन वृद्धि की माँग कब पूरी होगी” के तहत इन दोनों की भूमिकाओं, अंतर, और उनकी मांगों की स्थिति को विस्तार से समझेंगे।

ग्राम चौकीदार और दफादार: एक परिचय
ग्राम चौकीदार
ग्राम चौकीदार, जिन्हें ग्राम प्रहरी भी कहा जाता है, गाँवों की सुरक्षा के लिए नियुक्त किए जाते हैं। इनका मुख्य काम गाँव में होने वाली घटनाओं, जैसे चोरी, झगड़ा, या संदिग्ध गतिविधियों की जानकारी पुलिस तक पहुँचाना है। चौकीदार गाँव में रात-दिन गश्त करते हैं और ग्राम पंचायत के छोटे-मोटे कामों, जैसे जन्म-मृत्यु रजिस्ट्रेशन, में भी मदद करते हैं। उत्तर प्रदेश में इन्हें अक्सर अनुसूचित जाति (SC) और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) से चुना जाता है।
दफादार
दफादार भी गाँवों में काम करते हैं, लेकिन इनकी भूमिका चौकीदारों से थोड़ी अलग होती है। दफादार का पद ग्राम चौकीदार से ऊँचा माना जाता है और ये कई बार कई गाँवों के चौकीदारों की निगरानी करते हैं। इनका काम पुलिस और ग्राम पंचायत के बीच एक सेतु की तरह होता है। दफादार पुलिस थानों में चौकीदारों से मिली जानकारी को रजिस्टर करते हैं और जरूरत पड़ने पर पुलिस की मदद करते हैं। इनकी नियुक्ति भी सरकार द्वारा की जाती है, लेकिन इनके पास थोड़ा ज्यादा अधिकार होता है।
ग्राम चौकीदार और दफादार में अंतर
1. जिम्मेदारियाँ
- चौकीदार: गाँव की सुरक्षा, गश्त, और घटनाओं की सूचना देना। ये सीधे गाँव स्तर पर काम करते हैं।
- दफादार: कई गाँवों के चौकीदारों की निगरानी करना, उनकी रिपोर्ट को पुलिस तक पहुँचाना, और थाना स्तर पर समन्वय करना।
2. नियुक्ति और पद
- चौकीदार: ग्राम पंचायत स्तर पर नियुक्त होते हैं और इनका पद दफादार से नीचे होता है।
- दफादार: थाना स्तर पर नियुक्त होते हैं और इनके पास चौकीदारों की तुलना में ज्यादा जिम्मेदारी होती है।
3. वेतन
- चौकीदार: उत्तर प्रदेश में चौकीदारों को प्रति ड्यूटी 500 रुपये मिलते हैं। महीने में 5 ड्यूटी करने पर 2,500 रुपये मासिक मिलते हैं।
- दफादार: दफादारों का वेतन थोड़ा ज्यादा होता है, जो आमतौर पर 3,000 से 4,000 रुपये मासिक तक हो सकता है, लेकिन यह भी राज्य और ड्यूटी के आधार पर बदलता है।
4. सुविधाएँ
- चौकीदार: इन्हें वर्दी, साइकिल, या टॉर्च जैसी सुविधाएँ नहीं दी जातीं।
- दफादार: इन्हें कभी-कभी वर्दी और बुनियादी सुविधाएँ मिलती हैं, लेकिन यह भी हर जगह लागू नहीं है।
वेतन वृद्धि की माँग
चौकीदारों की माँग
उत्तर प्रदेश में लगभग 70,000 ग्राम चौकीदार हैं, जो 2,500 रुपये मासिक की अल्प राशि में काम करते हैं। इनकी मुख्य माँगें हैं:
- कम से कम 10,500 रुपये मासिक वेतन, जो केंद्र सरकार द्वारा असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के लिए तय न्यूनतम वेतन के बराबर है।
- राज्य कर्मचारी का दर्जा, ताकि इन्हें पेंशन और स्वास्थ्य बीमा जैसी सुविधाएँ मिलें।
- बुनियादी सुविधाएँ जैसे वर्दी, साइकिल, और टॉर्च।
दफादारों की माँग
दफादार भी वेतन वृद्धि की माँग कर रहे हैं। उनकी माँग है कि उनका वेतन कम से कम 12,000 रुपये मासिक हो, क्योंकि उनकी जिम्मेदारी चौकीदारों से ज्यादा है। इसके साथ ही, वे भी राज्य कर्मचारी का दर्जा और बेहतर सुविधाएँ चाहते हैं।
अब तक क्या हुआ?
- उत्तर प्रदेश: चौकीदारों और दफादारों ने कई बार प्रदर्शन किए हैं। 2024 में जंतर-मंतर पर एक बड़ा धरना हुआ, लेकिन सरकार ने सिर्फ आश्वासन दिए, कोई ठोस कदम नहीं उठाया।
- हरियाणा: 2023 में हरियाणा सरकार ने चौकीदारों का वेतन 7,000 से बढ़ाकर 11,200 रुपये किया। दफादारों को भी इसमें शामिल किया गया।
- पंजाब: 2025 में पंजाब सरकार ने चौकीदारों और दफादारों का वेतन 1,250 से बढ़ाकर 1,500 रुपये किया।
वेतन वृद्धि की माँग कब पूरी होगी?
वेतन वृद्धि की माँग का पूरा होना कई बातों पर निर्भर करता है:
- सरकार का रवैया: उत्तर प्रदेश सरकार ने अभी तक इस मुद्दे पर गंभीरता नहीं दिखाई है। अगर सरकार इसे प्राथमिकता देती है, तो 2025 के अंत तक कुछ राहत मिल सकती है।
- चुनावी दबाव: 2026 में उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव हैं। चुनाव से पहले सरकार चौकीदारों और दफादारों की माँगों को पूरा करने की घोषणा कर सकती है, क्योंकि ये लोग 35 लाख वोटों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
- कानूनी कार्रवाई: चौकीदारों ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। अगर कोर्ट सरकार को वेतन बढ़ाने का आदेश देता है, तो यह जल्दी लागू हो सकता है।
“ग्राम चौकीदार और दफादार में क्या अंतर है दोनों की वेतन वृद्धि की माँग कब पूरी होगी” के तहत हमने देखा कि दोनों की जिम्मेदारियाँ और वेतन में अंतर है, लेकिन दोनों ही कम वेतन की समस्या से जूझ रहे हैं। उनकी माँगें जायज हैं, और इन्हें पूरा करना ग्रामीण सुरक्षा को मजबूत करने में मदद करेगा। हरियाणा और पंजाब जैसे राज्यों ने इस दिशा में कदम उठाए हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्यों को भी आगे आना होगा। अगर सरकार और कोर्ट इस मुद्दे पर जल्दी ध्यान देते हैं, तो 2025 के अंत तक या 2026 की शुरुआत में उनकी माँगें पूरी हो सकती हैं।
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