भारत में ग्राम चौकीदार के हालात और वेतन वृद्धि को लेकर क्या किया अभी तक मोदी सरकार ने

भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में ग्राम चौकीदार गाँवों की सुरक्षा और कानून-व्यवस्था बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये लोग रात-दिन गाँवों की निगरानी करते हैं, अपराधों की सूचना पुलिस तक पहुँचाते हैं, और स्थानीय प्रशासन के साथ समन्वय बनाए रखते हैं। फिर भी, ग्राम चौकीदारों की स्थिति और वेतन को लेकर लंबे समय से असंतोष रहा है। कम वेतन, अनिश्चित नौकरी, और अपर्याप्त संसाधनों की वजह से ये लोग आर्थिक और सामाजिक चुनौतियों का सामना करते हैं। इस लेख में हम “भारत में ग्राम चौकीदार के हालात और वेतन वृद्धि को लेकर क्या किया अभी तक मोदी सरकार ने” के तहत उनकी स्थिति, सरकार की पहल, और भविष्य की संभावनाओं को विस्तार से समझेंगे।

वेतन वृद्धि को लेकर क्या करा अभी तक मोदी सरकार ने

ग्राम चौकीदारों की स्थिति

ग्राम चौकीदार, जिन्हें कुछ राज्यों में ‘ग्राम प्रहरी’ भी कहा जाता है, गाँवों में पुलिस और प्रशासन के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी हैं। उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, और अन्य राज्यों में लाखों चौकीदार कार्यरत हैं। उनकी मुख्य जिम्मेदारियों में शामिल हैं:

  • गाँव में होने वाली घटनाओं और अपराधों की सूचना देना।
  • रात में गश्त लगाना और संदिग्ध गतिविधियों पर नजर रखना।
  • स्थानीय प्रशासन को आपदाओं या सामुदायिक समस्याओं की जानकारी देना।

हालांकि, उनकी मेहनत के बावजूद, उनकी स्थिति दयनीय है। उत्तर प्रदेश में चौकीदारों को मात्र 2500 रुपये मासिक वेतन मिलता है, जो न्यूनतम मजदूरी से भी कम है। कई चौकीदारों को नियमित कर्मचारी का दर्जा नहीं मिलता, जिसके कारण वे पेंशन, स्वास्थ्य बीमा, या अन्य सुविधाओं से वंचित रहते हैं। महंगाई की मार और परिवार के पालन-पोषण की जिम्मेदारी ने उनकी स्थिति को और जटिल बना दिया है।

मोदी सरकार की पहल

2014 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार बनने के बाद ग्राम चौकीदारों की स्थिति में सुधार के लिए कुछ कदम उठाए गए हैं, लेकिन ये प्रयास अभी तक अपर्याप्त साबित हुए हैं। नीचे प्रमुख पहलों का उल्लेख है:

1. न्यूनतम वेतन में वृद्धि (असंगठित क्षेत्र)

मोदी सरकार ने असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए न्यूनतम वेतन में वृद्धि की है। 1 अक्टूबर 2024 से लागू नए आदेश के अनुसार, अकुशल श्रमिकों (जैसे चौकीदार) का न्यूनतम वेतन 20,358 रुपये प्रति माह (783 रुपये प्रतिदिन) निर्धारित किया गया है। हालांकि, यह वेतन केंद्र सरकार के अधीन कार्यरत श्रमिकों के लिए लागू है, और राज्य सरकारों द्वारा संचालित ग्राम चौकीदारों पर इसका सीधा प्रभाव सीमित है। कई राज्यों में चौकीदारों को अभी भी 2500-7000 रुपये मासिक ही मिल रहे हैं।

2. श्रमयोगी मानधन योजना

2019 में मोदी सरकार ने असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों, जिसमें चौकीदार भी शामिल हैं, के लिए प्रधानमंत्री श्रमयोगी मानधन योजना शुरू की। इस योजना के तहत 15,000 रुपये से कम मासिक आय वाले श्रमिक 60 वर्ष की आयु के बाद 3000 रुपये मासिक पेंशन प्राप्त कर सकते हैं। योजना में 29 वर्ष की आयु में 100 रुपये मासिक अंशदान देना होता है। यह योजना चौकीदारों को वृद्धावस्था में आर्थिक सुरक्षा प्रदान करने का प्रयास है, लेकिन इसका लाभ उठाने के लिए जागरूकता और नियमित अंशदान की आवश्यकता है, जो कई चौकीदारों के लिए चुनौतीपूर्ण है।

3. सामाजिक सुरक्षा और बीमा

केंद्र सरकार ने असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा योजनाएँ शुरू की हैं, जैसे आयुष्मान भारत और ई-श्रम पोर्टल। आयुष्मान भारत के तहत 1.8 लाख रुपये तक की आय वाले परिवारों को 5 लाख रुपये तक का मुफ्त स्वास्थ्य बीमा मिलता है, जिसमें ग्राम चौकीदार भी शामिल हैं। ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकरण करके चौकीदार विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ ले सकते हैं। हालांकि, ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता की कमी के कारण इन योजनाओं का पूर्ण लाभ चौकीदारों तक नहीं पहुँच पा रहा।

4. राज्य सरकारों के साथ समन्वय

केंद्र सरकार ने राज्यों को ग्राम चौकीदारों की स्थिति सुधारने के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं। उदाहरण के लिए, हरियाणा में 2023 में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने ग्राम चौकीदारों का वेतन 7,000 रुपये से बढ़ाकर 11,200 रुपये मासिक किया और सेवानिवृत्ति पर 2 लाख रुपये की एकमुश्त राशि देने की घोषणा की। केंद्र सरकार ने अन्य राज्यों को भी इसी तरह के कदम उठाने के लिए प्रोत्साहित किया है, लेकिन उत्तर प्रदेश, बिहार, और मध्य प्रदेश जैसे बड़े राज्यों में अभी तक कोई बड़ा बदलाव नहीं हुआ है।

चौकीदारों की मांगें और चुनौतियाँ

ग्राम चौकीदारों की प्रमुख मांगें हैं:

  • न्यूनतम वेतन: कम से कम 10,500 रुपये मासिक वेतन, जैसा कि केंद्र सरकार ने असंगठित श्रमिकों के लिए निर्धारित किया है।
  • नियमितीकरण: चौकीदारों को राज्य कर्मचारी का दर्जा और स्थायी नौकरी।
  • सामाजिक सुरक्षा: पेंशन, स्वास्थ्य बीमा, और आवास जैसी सुविधाएँ।
  • संसाधन: कार्य के लिए वर्दी, उपकरण, और प्रशिक्षण।

हालांकि, कई चुनौतियाँ बनी हुई हैं:

  • राज्य-केंद्र समन्वय की कमी: केंद्र सरकार के दिशानिर्देशों को लागू करना राज्यों की जिम्मेदारी है, लेकिन कई राज्य इसे प्राथमिकता नहीं दे रहे।
  • जागरूकता की कमी: चौकीदारों को सरकारी योजनाओं की जानकारी नहीं मिल पाती।
  • प्रशासनिक देरी: वेतन वृद्धि और नियमितीकरण की मांगों पर कार्रवाई में देरी।

भविष्य की संभावनाएँ

मोदी सरकार ने असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए कई योजनाएँ शुरू की हैं, जो ग्राम चौकीदारों के लिए भी लागू हो सकती हैं। भविष्य में निम्नलिखित कदम उठाए जा सकते हैं:

  • राष्ट्रीय नीति: ग्राम चौकीदारों के लिए एक समान राष्ट्रीय नीति बनाई जाए, जिसमें वेतन, प्रशिक्षण, और सामाजिक सुरक्षा के मानक तय हों।
  • जागरूकता अभियान: ई-श्रम पोर्टल और अन्य योजनाओं के बारे में ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता बढ़ाई जाए।
  • राज्य सरकारों पर दबाव: केंद्र सरकार राज्यों को चौकीदारों के वेतन और स्थिति में सुधार के लिए प्रोत्साहन दे।

“भारत में ग्राम चौकीदार के हालात और वेतन वृद्धि को लेकर क्या किया अभी तक मोदी सरकार ने” इस प्रश्न का जवाब यह है कि सरकार ने असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए न्यूनतम वेतन वृद्धि, पेंशन योजना, और सामाजिक सुरक्षा जैसे कदम उठाए हैं, लेकिन ग्राम चौकीदारों के लिए विशेष रूप से कोई ठोस नीति लागू नहीं हुई है। हरियाणा जैसे कुछ राज्यों में प्रगति हुई है, लेकिन उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे बड़े राज्यों में चौकीदार अभी भी कम वेतन और असुरक्षा से जूझ रहे हैं। ग्राम चौकीदार गाँवों की रीढ़ हैं, और उनकी स्थिति में सुधार के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को मिलकर एक समन्वित नीति लागू करनी होगी। यदि आप इस योजना का लाभ उठाना चाहते हैं या अधिक जानकारी चाहते हैं, तो अपने नजदीकी समाज कल्याण विभाग या ई-श्रम पोर्टल पर संपर्क करें।

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