MP न्यूज़: इस जिले में उगेगा कश्मीरी ग्रीन एप्पल, कैसे हुआ चमत्कार?

MP News Kashmiri Green Apple will grow in this district, how did this miracle happen

MP न्यूज़: इस जिले में उगेगा कश्मीरी ग्रीन एप्पल, कैसे हुआ चमत्कार? यह खबर मध्य प्रदेश के किसानों और कृषि प्रेमियों के लिए एक क्रांतिकारी बदलाव की शुरुआत है। रीवा जिले में, जहाँ आमतौर पर धान और गेहूँ की खेती होती है, अब कश्मीर और शिमला जैसे ठंडे क्षेत्रों के ग्रीन एप्पल उगाए जा रहे हैं। यह लेख आपको इस अनोखे प्रयोग की कहानी, इसके तरीके, फायदे और भविष्य की संभावनाओं के बारे में बताएगा।

ग्रीन एप्पल खेती की बुनियादी जानकारी

ग्रीन एप्पल, जो आमतौर पर कश्मीर और हिमाचल प्रदेश जैसे ठंडे क्षेत्रों में उगते हैं, अपनी खट्टी-मीठी स्वाद और पोषक तत्वों के लिए प्रसिद्ध हैं। ये सेब 5-15 डिग्री सेल्सियस तापमान और अच्छी जलवायु वाले क्षेत्रों में फलते-फूलते हैं। मध्य प्रदेश का रीवा जिला, जो सामान्य रूप से गर्म जलवायु के लिए जाना जाता है, अब नवाचार के जरिए इस फसल को अपनाने की राह पर है। X पर @ZeeMPCG ने बताया कि रीवा के किसानों ने 45 डिग्री सेल्सियस की गर्मी में भी ग्रीन एप्पल की खेती में सफलता हासिल की।

मुख्य सामग्री: रीवा में ग्रीन एप्पल की सफलता

रीवा जिले के किसानों ने MP न्यूज़: इस जिले में उगेगा कश्मीरी ग्रीन एप्पल, कैसे हुआ चमत्कार? को साकार किया। कृषि वैज्ञानिकों और स्थानीय किसानों ने मिलकर हाई-डेंसिटी प्लांटिंग और ड्रिप इरिगेशन जैसी आधुनिक तकनीकों का उपयोग किया। रीवा की मिट्टी, जो लाल और दोमट है, को विशेष उर्वरकों और जैविक खाद से तैयार किया गया। स्थानीय किसान रामलाल पटेल ने यूट्यूब और कृषि विशेषज्ञों से प्रेरणा लेकर ग्रीन एप्पल की HRMN-99 वैरायटी का चयन किया, जो गर्म जलवायु में भी फल देती है। पहले साल में 100 पौधों से 2 टन सेब की पैदावार हुई, जिसे ₹150-₹200 प्रति किलो बेचा गया।

ग्रीन एप्पल खेती के तरीके

  1. पौधों का चयन: HRMN-99 या गाला वैरायटी चुनें, जो गर्म जलवायु में उपयुक्त हैं।
  2. मिट्टी की तैयारी: जैविक खाद और फॉस्फोरस से मिट्टी को उपजाऊ बनाएँ।
  3. हाई-डेंसिटी प्लांटिंग: प्रति एकड़ 800-1000 पौधे लगाएँ, 3×2 मीटर की दूरी पर।
  4. ड्रिप इरिगेशन: पानी की बचत और नियमित सिंचाई के लिए ड्रिप सिस्टम अपनाएँ।
  5. प्रशिक्षण: कृषि विभाग या यूट्यूब से तकनीकी जानकारी लें।

फायदे

  • उच्च मुनाफा: ग्रीन एप्पल की कीमत ₹150-₹200 प्रति किलो, जबकि लागत ₹50-₹60 प्रति किलो।
  • कम जोखिम: पारंपरिक फसलों की तुलना में कीटों का कम खतरा।
  • बाजार मांग: सेब की मांग होटल, रेस्तरां और निर्यात में बढ़ रही है।
  • रोजगार सृजन: स्थानीय युवाओं के लिए खेती और प्रसंस्करण में नौकरियाँ।

उपयोग और महत्व

MP न्यूज़: इस जिले में उगेगा कश्मीरी ग्रीन एप्पल, कैसे हुआ चमत्कार? ने रीवा को कृषि नवाचार का केंद्र बनाया। ग्रीन एप्पल की खेती न केवल किसानों की आय बढ़ाएगी, बल्कि मध्य प्रदेश को सेब उत्पादन में नया नाम देगी। यह फसल जैम, जूस, और डेसर्ट बनाने में उपयोगी है, और इसके पोषक तत्व स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हैं। यह प्रयोग ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने का एक मॉडल बन सकता है।

FAQ

1. रीवा में ग्रीन एप्पल की खेती कैसे शुरू हुई?
कृषि वैज्ञानिकों और यूट्यूब से प्रेरणा लेकर किसानों ने आधुनिक तकनीकों का उपयोग किया।

2. ग्रीन एप्पल की खेती के लिए कितनी लागत लगती है?
प्रति एकड़ शुरुआती लागत ₹2-3 लाख, जिसमें पौधे, सिंचाई और खाद शामिल हैं।

3. क्या गर्म जलवायु में सेब उगाना संभव है?
हाँ, HRMN-99 जैसी वैरायटी गर्म जलवायु में भी फल देती है।

4. जानकारी कहाँ से लें?
मध्य प्रदेश कृषि विभाग (mpkrishi.mp.gov.in) या स्थानीय कृषि केंद्र से संपकर् करें।

MP न्यूज़: इस जिले में उगेगा कश्मीरी ग्रीन एप्पल, कैसे हुआ चमत्कार? ने साबित किया कि मेहनत और नवाचार से कुछ भी संभव है। रीवा के किसानों ने गर्म जलवायु में कश्मीरी ग्रीन एप्पल उगाकर मध्य प्रदेश को गौरवान्वित किया। यह प्रयोग न केवल आर्थिक लाभ देगा, बल्कि अन्य जिलों के लिए प्रेरणा भी बनेगा। किसान MP कृषि विभाग की वेबसाइट या स्थानीय विशेषज्ञों से संपर्क कर इस खेती को शुरू कर सकते हैं।

यह लेख केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए है। नवीनतम जानकारी के लिए मध्य प्रदेश कृषि विभाग की वेबसाइट mpkrishi.mp.gov.in या विश्वसनीय समाचार स्रोत जैसे dainikbhaskar.com जांचें।

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